मध्य प्रदेश में अरहर की खेती | Pigeon pea cultivation in Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश में अरहर की खेती

 एक और दलहनी कुल की फसल अरहर की खेती का विश्लेषण करें। भारत में अरहर का 2.5 मेट्रिक टन उत्पादन होता है महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश। ये तीन राज्य उत्पादन की दृष्टि से पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आते यानी की महाराष्ट्र पहले नंबर पर आता है।

मध्य प्रदेश में अरहर की खेती

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पहले लागत एक एक अरहर की खेती कितनी लागत आती है?

एक एकड़ अरहर की खेती में बीच की मात्रा लगेंगी। छे से आठ किलो व अरहर की एक किलो के बीज की कीमत ₹100 से ₹200 के बीच में आती है। इस तरह हमारा एक एकड़ अरहर की खेती में बीज का खर्च आएगा ₹1600 बीज बुवाई के पहले बीज का उपचार अवश्य करे बीज उपचार का खर्च आएगा डेढ़ ₹100 खेत की तैयारी का खर्च आएगा ₹4000 और खरपतवार नाशक दवाई का हमारा खर्च आएगा साढ़े 600 सड़ी हुई गोबर की खाद का खर्च आएगा ₹4000


रासायनिक खाद व उर्वरक का हमारा खर्च आएगा ₹2225 अरहर की फसल में फली छेदा कि ली और आगे इतनी झुलसा जैसे रोग व कीटों का अटैक देखने को मिलता है। इन रोग व कीटों के अटैक से हमारी फसल को बचाने के लिए हम स्प्रे करते हैं, जिसका हमारा खर्च आएगा ₹1125 अरहर की फसल की हार्वेस्टिंग अगर आप हार्वेस्टर की सहायता से करते तो आपकी लागत आई 1500 से ₹2000 वही या अगर फसल की कटाई लेबर की सहायता से करते


तो आपका खर्च आएगा 3500 से ₹4000। यानी की हार्वेस्टर से हमारे ₹2000 की बचत होती है। हम इसी खर्च को लेते छोटे मोटे कामों के लिए हमारा लेबर का खर्च आएगा ₹2000 वह खेत से मंडी तक का ट्रांसपोर्ट चढ़ जाएगा ₹1000 यहाँ घर पूरी तरह से निर्भर करता है कि आपके खेत से मंडी की दूरी कितनी? इस तरह हमारा एक एकड़ अरहर की खेती में कुल लागत आई ₹18,750 अरहर की फसल में आपकी लागत 15,000 से। रुपए के बीच में ही रही। अगर आपकी लागत इससे ज्यादा आ रही है तो आप अपने मिट्टी की जांच कराएं और उसके हिसाब से खाद व उर्वरक दे। या फिर आप काफी ज्यादा काम लेबर की सहायता से करारे इस कारण भी आपकी लागत अरहर की फसल में ज्यादा आ रही है। लागत के बाद आते हैं


 उत्पादन एक एकर की खेती में कितना उत्पादन होता है?

अरहर की फसल में मिलने वाला उत्पादन, बीच के चुनाव, जलवायु, मिट्टी की उपजाऊ क्षमता और आपकी फसल कीट व रोग मुक्त है या नहीं इसके ऊपर निर्भर करता है। परम्परागत खेती करने वाले किसान भाई को एक एकड़ अरहर की खेती से छह क्विंटल से लेकर आठ क्विंटल तक उत्पादन होता है। वही अगर आप सही किस्म के बीजों का चुनाव करते हैं, वह सही समय पर खाद व उर्वरक डालते और आपने जैविक और रासायनिक दोनों तरह के खादों का उपयोग किया। वह आपकी फसल। किट व रोग मुकते और सही समय पर स्प्रे किया तो एक एकड़ अरहर की खेती से 10 क्विंटल से लेकर 12 क्विंटल तक उत्पादन देखने को मिलता है।

 महाराष्ट्र के किसान भाइयों का उत्पादन अरहर की खेती में निश्चित ही एक एकड़ से 12 क्विंटल से ज्यादा होगा। पर हम यहाँ पर पूरे भारत की बात कर रहे हैं। इसलिए हम पूरे भारत का यूरो 11 क्विंटल लेते यानी कि एक एकल अरहर की खेती से हमारा उत्पादन हुआ। 11 किलोमीटर अरहर की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए आपकी फसल रोग व म्हक्त होना चाहिए। अरहर की फसल में सबसे ज्यादा अटे फली छेदक इल्ली का देखने को मिलता है। इस इल्ली के अटैक से अपनी फसल को बचाने के लिए प्रारंभिक अवस्था में आप इमामैक्टिन बेंजोइक 5% इ सी आठ से 10 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में लेकर अपनी फसल पर स्प्रे कर दे। अगर इल्ली का प्रभाव ज्यादा है तो आप डेल्टा मेथ्रन 11% इ सी बी से मिल 15 लीटर पानी में मिलाकर अपनी फसल पर स्प्रे कर दी। 

अरहर की फसल में भूमि जनक रोग देखने को मिलता है या एक फंगस जनित रोगी इस अटैक से अपनी फसल को बचाने के लिए आप कार्बेंडाजम 12% और। मेनको जेब 63% 500 ग्राम पर 200 लीटर पानी में मिलाकर जड़ के पास में ट्रेंचिंग करते साथ ही आप फसल चक्रन जरूर अपनाएं। यानी की जीस खेत में आपको उकटा रोग की पहली बार समस्या देखने को मिलती है। उस खेत में आप तीन सालो तक हरहर की फसल ना लगा। इसके साथ ही आप रोग रोधी किस्म का भी चुनाव करे जो की इस रोग के प्रति प्रतिरोधी गुण रख उत्पादन के बाद आते हैं। 


FAQ:-

अरहर की खेती कौन से महीने में होती है?

जून से जुलाई के महीने में

अरहर का मुख्य उत्पादक जिला कौन सा है?

महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश

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