गन्ने में लाल सड़न रोग की दवा
आज हम बात करेंगे गन्ने की फसल के बारे में। मैं आपको बताऊँगा की गन्ने की फसल की जो प्रमुख समस्या होती है लाल सड़क की उसको कंट्रोल करने के लिए उसके नियंत्रण के लिए हम कौन कौन से उपाय कर सकते है। अगर आप गन्ने की खेती करते हो तो खासकर आपके है।
सबसे पहले जान लेते है की गन्ने की फसल के ऊपर आखिर लाल सडन रोग आता क्यों है।
गन्ने की फसल में लाल सडन एक कोलेटो ट्री क्रम फाल्के टर्म नामक तमक के कारण होने वाली एक प्रमुख बिमारी है। इस रोग के जो होते हैं वो मिट्टी, बीज या फिर फसल के अलग अलग अवशसों से एक जगह से लेके दूसरी जगह स्थानांतरित होते हैं। खेत में इसके बिजानु लंबे समय के लिए जीवित रहते हैं और जब उनको अनुकूल वातावरण मिलता है तब वो संक्रमित हो जाते हैं। अगर खेत में इस रोग का प्रकोप हुआ है और हमने उर्वरक प्रबंधन, पानी प्रबंधन या फिर अंतर की क्रिया के ऊपर उतना ध्यान नहीं दिया तो अपनी गन्नी की फसल का भारी मात्रा में नुकसान भी संभव है। इसलिए हमें सही समय पर इस रोग के लक्षण पहचान कर उसके लिए उपाय करना बहुत ही जरूरी है। तो चलिए आप जानते हैं कि लाल सडन रोग को आप आसानी से कैसे पहचान सकते हो। गन्ने की फसल में लाल सरन रोग हमें जुलाई से लेकर अक्टूबर के बीच दिखाई देता है और इसके लक्षण जो है वह बहुत ही आसान है। गन्नी की ऊपरी पत्तियाँ सूखी हुई दिखाई देती है। अगर हम गन्ने की फसल को बीच से काटते हैं तो आपको लाल रंग दिखाई देगा और इस लाल रंग से आपको एक अल्कोहल यानी दारू जैसे गंद आएगी। तो चलिए किसान भाइयों हमने लाल सड़क के बारे में बहुत ही बातें की। अब जानते हैं कि इसके लिए कौन कौन से हमें उपाय करने हैं।
सबसे पहले बात यहाँ पर मैं बताना चाहूंगा कि दोस्तों गन्ने की फसल में लाल सरन रोग नियंत्रण के लिए कोई भी ऐसा एक छिड़काव या फिर एक दवा नहीं है। आपको गंदे की फसल में एकीकृत रोग प्रबंधन अपनाना जरूरी है।
यानी शुरुआत से लेकर आखिर तक हमें अलग अलग तरीके से इस रोग को कंट्रोल करना जरूरी है। शुरुआत से लेकर जैसे कि आपको गन्ने की बुवाई के लिए अच्छे बीज का चुनाव करना बहुत ही जरूरी है यानी रोग मुक्त बीज का चुनाव करना है, उसी के साथ हमें बीज उपचार भी करने है। यानी अलग अलग फफूंदनाशी या फिर कीटनाशक का इस्तेमाल आप बीज उपचार के लिए कर सकते हो ताकि शुरुआती अवस्था में इस लाल सडन का प्रकोप ना दिखाई दे। साथ ही हमें फसल चक्र में अपनाना है। यानी एक ही खेत में बार बार हर साल गन्ने की फसल ना दे। उसमें आपको अलगअलग प्रकार के फसलें भी लेनी है।
जैसे कि आप गन्ने की कटाई के बाद उसमें धान लगा सकते हो, गेहूं लगा सकते हो या फिर अलग अलग हरी खाद वाली फुसले लगा सकते हो। शुरुआती अवस्था में या फिर प्रिवेंटिव स्वरूप में यानी इस रोग का प्रकोप होने से पहले आप सोडोना बोनस जैसे जैविक वपल नशे का इस्तेमाल अपनी गन्ने की फसल में कर सकते हैं।
साथ ही हमें जब शुरुआती अवस्था में आपको आपके गन्ने की फसल में कुछ पौधों के ऊपर इसका प्रकोप दिखाई देने लगता है, उसी समय हमें उस पौधे के ऊपर भी प्रक्रिया करनी है जैसे कि रोगग्रस्त पौधों को डायरेक्ट निकाले प्लॉट के बाहर ले जाकर नष्ट करें या फिर आप उस जगह पर ब्लीच पाउडर का बुरखा करके उस रोग को वही रोक सकते हो। अगर ये सब चीजें करने के बाद भी आपको प्लॉट में लाल सरन रोग कंट्रोल में ना दिखाई दे तो मैं आपको आगे कुछ फफूंदनाशिक के नाम बताने वाला हूँ। उन फफूंदनाश को आपको अदल बदल के अपने गन्ने की फसल के ऊपर छिड़काव के लिए इस्तेमाल करना है, जैसे की सिमज़ेंडा कंपनी का रेडिओबल गोल्ड बहुत ही अच्छा कपकना चाहिए उपयोग की मात्रा है दो ग्राम प्रति लीटर पानी।
दानों का कंपनी का स्पेक्ट्रम कवक नशे भी बहुत ही अच्छा है। उपयोग की मात्रा है दो एम एल प्रति पानी धानो का कंपनी का पानी का कमकनाश भी बहुत ही अच्छा है। उपयोग की मात्रा है दो ग्राम प्रति लीटर पानी सिंज़िंडा कंपनी का बहुत किसान इस्तेमाल करते हैं। उपयोग की मात्रा है 1.3 एम एल पर लीटर पानी और आखिर में पैर के लूना एक्सपीरियंस का भी आप इस्तेमाल कर सकते हो। उपयोग की मात्रा है 1.5 एम एल प्रति लीटर पानी। दोस्तों अभी जीतने भी कमकनाशिक मैंने नाम आपको बताएं। जरूरी नहीं है कि सारे कवक नशे आपको इस्तेमाल करने हैं। आवश्यकतानुसार अदाल बदल के आपको वकनाशिका इस्तेमाल कर सकते हैं।
और एक जरूर सुचना छिड़काव करते समय आपको इंडियन फार्मर कंपनी यानी आई ऐफ़ सी कंपनी का स्टिकर पांच एम एल पंप के साथ जरूर इस्तेमाल करना है।
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FAQ:-
गन्ने की बुवाई कौन से महीने में करनी चाहिए?
अक्टूबर – नवम्बर
गन्ने की फसल तैयार होने में कितना समय लगता है?
10 से12 माह मेंतैयार होता है।
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