यूरिया खाद के फायदे और नुकसान | Advantages and disadvantages of urea fertilizer

 यूरिया खाद के फायदे और नुकसान 

यूरिया नाइट्रोजन 46% जो आता है उसको छिड़काव कब करना चाहिए? पानी देने से पहले करना चाहिए या पानी देने के बाद फसलों पर करना चाहिए? क्या इसका सही टाइपिंग होता है? क्या पानी देने से पहले इसको छिड़काव करते हैं तो ज्यादा नुकसान होता है या ज्यादा फायदा होता है या पानी देने के बाद वो छिड़काव करते हैं? उसमें ज्यादा फायदा होता है या ज्यादा नुकसान होता है। 

यूरिया खाद के फायदे और नुकसान


वो सारे डीटेल्स जो है यूरिया का आप देखेंगे यूरिया में नाइट्रोजन परसेंट पाया जाता है। अब बात करते हैं ये जो फायदा किस प्रकार से करते हैं। यूरिया का छिड़काव करने से जो होता है यूरिया का जैसे आप छिड़काव करते हैं, खेतों में नई पत्तियों का विकास करता है, पुष्प निर्माण करता है, पौधों की लंबाई बढ़ाने में काम करता है। जो होता है वो लाता है पौधों की जो रशीला पंज होता है वो बढ़ाता है। नाइट्रोजन की आवश्यकता फसल बुवाई से लेकर के पुष्पन यानी फूल निर्माण तक पड़ती है तथा इनके तीन भागों में करके थोड़े थोड़े दिन भर करके देना चाहिए और आपके फसल या पौधे में नाइट्रोजन की कमी हो जाता है तो आप परखेंगे कैसे? किस प्रकार से आप जान सकते हैं किस पौधे में नाइट्रोजन की कमी हो गया है तो परखने के लिए आप देखेंगे जो पौध होता है या जो फसल होता है उसके नीचे तरफ वाले जो सबसे नीचे वाले पतिया जो होते है वो धीरे धीरे सारे पीले होने लगते है। पीला होने के बाद वो ऐसे कर कर के ऊपर की तरफ आने लगता है। जैसे जैसे ऊपर की तरफ वो पीलापन आते रहता है तो उसके ऊपर वाला जो लीव होता है पतिया होता है वो सारे पीले होने लगते है। फिर आपको समझ लेना चाहिए की इसमें नाइट्रोजन की कमी होने लगा है

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 तो उसमें नाइट्रोजन का छिड़काव करना बहुत ही अति आवश्यक होता है। तब अपने पौधे पर या फसल पर नाइट्रोजन का छिड़काव कर सकते है। और एक बात फसल जीस समय पकते रहता है या जीस समय फसलों में दाने बन रहा होता है। उस समय यूरिया का इस्तेमाल ना करें। उसे भारी नुकसान हो सकता है तो ये चीज़ का ध्यान अवश्य रखें। यूरिया का इस्तेमाल जीस समय फूल आता है उससे पहले ही आप कर लेते हैं। दो बार या तीन बार में करके तो ज्यादा फायदा होता है। फुल आने के बाद जो होता है यूरिया का इस्तेमाल ना करें और बहुत से किसान भाई ऐसे करते हैं कि जैसे कि यूरिया का पानी को सिंचाई कर दिया जाता है तो उस समय ऐसा होता है की जीस समय आपका फसल छोटा होता है यानी की उसका जो झर होता है वो नीचे एक इंच से लेकर के डेढ़ दो इंच तक होता है। उस समय यूरिया का छिड़काव पहले ना करे क्योंकि उस समय अगर यूरिया का छिड़का पहले कर देते हो और उसके शीघ्र बाद पानी देने लगते है, उसे होता है की पानी जैसे ही खेतो के आपके अंदर अंदर जाता है, प्रवेश करता है तो यूरिया जो होता है उस पानी में घुल करके और जो जल जो होता है, जो पानी होता है वो खेतों में वो बहुत ही जल्दी नीचे चला जाता है तो यूरिया का जीतने सारे जो मात्रा होता है वो बहुत सारे परसेंटेज मात्रा जो यूरिया का होता है वो ले करके जमीन के नीचे वाले स्तर में चल जाता है। 

यूरिया खाद के फायदे और नुकसान


जबकि रूट जो होता है, जो जर्व होता है फसलों का वो ऊपर ही होता है। उसको भरपूर मात्रा में उसे फायदा यूरिया से नहीं मिल पाता है और वो पानी के साथ में अंदर चला जाता है और जिन फसलों का जल थोड़ा मजबूत हो चुका है, मान लीजिए की तीन से चार इंच या पांच इंच अंदर चला गया हुआ है। तो उसे ज्यादा गया हुआ है तब वो आप यूरिया का छिड़काव पहले करके पानी दे सकते हैं। अगर आप गेहूं के खेती करते हैं तो पहला यूरिया अगर दे रहे हैं तो पहले पानी देकर के उसके बाद यूरिया अगर देते हैं तो उसमें यूरिया जैसे पानी आप दे दिए होते हैं। उसके बाद अगर यूरिया देते हैं तो ये होता यह है कि पानी तो अंदर अब जॉब हो गया होता है। नीचे जमीन के अंदर चला गया होता है और उसमें नवमी बरकरार होता है। उसके बाद अगर आप यूरिया देते हैं तो वह पूरे भरपूर मात्रा में जो गेहूं होता है, उसका जर्जर होता है। एक से लेकर के डेढ़ इंच नीचे दो इंच नीचे तक होता है तो वह भरपूर मात्रा में जो यूरिया का जो फायदा होता है, बेनिफिट होता वो पौधा को मिल पाता है। अगर हम चावल के बात करें जैसे की चावल की खेती कर रहे हैं, धान की खेती कर रहे हैं तो धान की खेती में होता है ऐसे की जैसे की धान के खेत में पानी लगा होता है तो उसको पानी को निकाल करके। तब यूरिया का जैसा की उपयोग हम लोग करते है नाइट्रोजन के और पानी देकर के हटा करके यूरिया छीट करके उसमें जो चारो साइड से होता है वो पूरे खेतो में यूरिया का छिड़काव कर देते है 

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